गुरुवार, 6 मार्च 2014

चलो छोड़ो भी...

मैं ऐसा क्यों कहूं ?
तुमने आधा ही कहा था..
क्यों तुम्हें लानत भेजूं 
आधी खुली खिड़की से 
आधा चाँद ही तो 
बाहर निकला था..
क्यों तुम्हें शापित कहूं ?
देह के लावे से बाहर 
आधा आसमान ही तो 
टूट कर गिरा था..
मैं ऐसा क्यों कहूं ?

मेरी आधी हैसियत के साथ
तुम्हारे हिस्से की 
आधी भावुकता ही तो
तड़फड़ाती थी. 
आधे किनारे पर डूबकर
आधा स्वप्न ही तो पिघला था.. 
मैं ऐसा क्यों कहूं ?
क्यों तुम्हें लानत भेजूं ? 
चलो छोड़ो भी ... 
आधी-आधी नैतिकता
आधा-आधा संकल्प.
पवित्र फासलों में 
कुछ तो मुकम्मल हो जाने दो..