तुम्हारा होना ...
कोई तयशुदा देह नहीं
स्वप्न या यथार्थ नहीं
तुम्हारा होना ..
सिर्फ आकुल आहटों की
क्षणिक बेसब्री नहीं
तुम्हारा होना ...
मिटटी की वसीयत नहीं
संकल्पित वेदना का
आखिरी पड़ाव भी नहीं..
तुम्हारा होना...
गदराई सरसों की
अधखिली मिन्नत नहीं
कसमसाती बर्फ की
नर्म ताप नहीं
तुम्हारा होना...
सुप्त साँसों का
घुमड़ता ज्वार नहीं
तुम्हारा होना...
सुनियोजित शब्दों का
बेचैन उन्माद नहीं
कोई वजहों का
असबाब नहीं
तुम्हारा होना...
अनुमानित सुख की
समृद्ध व्याख्या भी नहीं
मुट्ठी भर आसमान की
भावुक जिद नहीं
यकीनन.. तुम्हारे होने में
ऐसा कुछ भी नहीं
तुम्हारे होने में...
बस..हमारी नादाँ आदतें
मुस्कुराती है
और.. चुपके से
अबोध प्रार्थनाओं में
चिपक जाती है
तुम्हारे होने में...
हमारा अनकिया जुर्म
अधीर होकर लहलहाता है
और ...चुपके से
बेख़ौफ़ मर जाता है....
भाव भाप-सा उठकर जमने लगता है
जवाब देंहटाएंन जाने किसे वो कैसे छूने लगता है ...
शायद हर जीवन में एक ऐसी शै होती है जिसके प्रकट या अप्रकट रूप में बोधमात्र से ही मन में आनंद लहरी श्रृंखलित व तरंगित होती है. जो कि निस्संदेह निश्छल और निःस्वार्थ होती है. रचना का भाव सयोजन, प्रवाह बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंअनुमानित सुख से सुदूर एक प्रेम अट्टाहस। क्या आपका पहले वाला ब्लॉग भी सक्रिय है?
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत वैराग भाव पैदा करती रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना...तुम्हारे होने और तुम्हारे होने के बीच सिमटी रचना...
जवाब देंहटाएंतुम्हारे न होने में भी कितना कुछ हो जाना है ... प्रेम का एक गहरा एहसास जो हलके स सोअर्ष से ही छुईमुई को बेसुध कर देता है ...
जवाब देंहटाएंक्षण भर में ही तार जाता है तुम्हारा होना ,
जवाब देंहटाएंतुम सिर्फ तुम नहीं स्व का विस्तार भी हो '
और वह स्व तुम्हारा ही नहीं हमारा भी है।
बढ़िया बिम्बात्मक प्रस्तुति। अखूट कूट संकेतों सी।
शानदार प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंप्यारी अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंलुनाई से भरी रचना ....बहोत प्यारी ...बहोत अबोध
जवाब देंहटाएंशुक्रिया राहुल भाई ऐसी टिपण्णी लेखनी की आंच हैं।
जवाब देंहटाएंपुन : शुक्रिया राहुल भाई ऐसी टिपण्णी लेखनी की आंच हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंसमग्र विस्तार से भी ज्यादा विस्तृत .....!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....
गहन चिंतन - प्रभावी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअनुमानित सुख की
जवाब देंहटाएंसमृद्ध व्याख्या भी नहीं
मुट्ठी भर आसमान की
भावुक जिद नहीं
यकीनन.. तुम्हारे होने में
ऐसा कुछ भी नहीं
तुम्हारे होने में...
बस..हमारी नादाँ आदतें
मुस्कुराती है
और.. चुपके से
अबोध प्रार्थनाओं में
चिपक जाती है
बेहद खूबसूरत भाव को व्यक्त करती सुंदर रचना।।।
अपने बहुमूल्य समय से कुछ समय चुरा कर हमें भी आनंद प्रदान करने की कृपा करे..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और उम्दा अभिव्यक्ति...बधाई...
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