शनिवार, 21 जनवरी 2017

ह्रदय को हर बार कहा......

कितनी बेजुबान यादें
बातें करती मन की रातें
शिकवों से भी खूब अघाते
थक-मर कर एक स्वप्न गाते
पर तुम,
कहाँ छूट गए राही ?
याचनाओं का दर्द तय है
चाहत पर चुप्पी तय है
कुछ आंसू गिरना तय है
बेमन का मरना तय है
पर तुम,
कहाँ छूट गए राही ?
ह्रदय को हर बार कहा
थमने को थम जा ज़रा
न भाग के यूँ भाग जरा
चुप्पी को यूँ देख ज़रा
पर तुम,
कहाँ छूट गए राही ?
यूँ कहने से भी क्या होगा
जिद का भी एक फलसफा होगा
रच-रच कर भी क्या होगा
अब फासलों से ही फैसला होगा
पर तुम,
छूट गए राही ........................